Non-Communicable Disease क्या है
नई दिल्ली। हमारे आसपास कई ऐसी बीमारियां मौजूद हैं, जो हमें अपना शिकार बनाती हैं। यह बीमारियां विभिन्न तरीकों से हमें अपनी चपेट में लेती हैं। अकसर बीमारियों की बात करते हुए हमने कम्युनिकेबल (Communicable Disease) और नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज (Non-Communicable Disease) के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर इन शब्दों का असल मतलब क्या होता है। कम्युनिकेबल डिजीज के बारे में तो लगभग सभी जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग ही नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज के बारे में जानते हैं। ऐसे में इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने नोएडा के मेट्रो हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. सैबल चक्रवर्ती से बातचीत की।
क्या है नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज?
नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज (NCD), जिसे गैर-संचारी रोग के नाम से भी जाना जाता है, उन बीमारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो संक्रामक नहीं होती हैं और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर नहीं हो सकती हैं। इन बीमारियों को विकसित होने में आमतौर पर लंबा समय लगता है और ये अकसर जीवनशैली, पर्यावरण और जेनेटिक कारकों के कारण होती हैं। अस्थमा, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, डायबिटीज, कैंसर और हार्ट डिजीज आदि इसके उदाहरण हैं।
नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज के लक्षण
बात करें नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज के लक्षणों की, तो विशेष बीमारी के आधार पर, इनके लक्षणों की एक विस्तृत श्रृंखला हो सकती है। जैसे दिल से जुड़ी समस्याओं, जैसे हार्ट डिजीज और स्ट्रोक की वजह से दिल की धड़कन बढ़ना, अचानक कमजोरी या हाथ-पैरों में सुन्नता, सांस लेने में तकलीफ और सीने में दर्द जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं।
अन्य लक्षण
इसके अलावा असामान्य ब्लीडिंग या डिस्चार्ज, लंबे समय तक खांसी या आवाज बैठना, आंत या मूत्राशय की आदतों में बदलाव और बिना कारण वजन कम होना कैंसर से जुड़े कुछ लक्षण हैं। अस्थमा जैसी रेस्पिरेटरी संबंधी पुरानी बीमारियां सांस लेने में कठिनाई, खांसी, सीने में जकड़न और घरघराहट का कारण बन सकती हैं। वहीं, भूख और प्यास का बढ़ना, बार-बार पेशाब आना, थकावट और ब्लर विजन डायबिटीज के सामान्य लक्षण हैं।
नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज के कारण
नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) लाइफस्टाइल फैक्टर्स के कॉम्बिनेशन के कारण होती हैं, जिनमें धूम्रपान, खराब खान-पान, शारीरिक गतिविधि की कमी और बड़ी मात्रा में शराब पीना शामिल हैं। इसके साथ ही प्रदूषण और अनफेवरेकल लिविंग कंडीशन जैसे पर्यावरणीय कारक शामिल हैं। गरीबी और हेल्थ केयर तक सीमित पहुंच जैसे सामाजिक-आर्थिक मुद्दे भी इसकी वजह बन सकते हैं।
नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज से बचाव
नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज को रोकने के लिए जीवनशैली में संशोधन, जैसे लगातार व्यायाम, स्वस्थ आहार, तंबाकू से परहेज, कम मात्रा में शराब का सेवन और स्ट्रेस मैनेजमेंट जरूरी है। ऐसे में सही समय और जल्दी निदान करने और रोकथाम के लिए स्वास्थ्य समस्याओं के लिए बार-बार जांच की मदद से इसे रोका जा सकता है।