मुंबई । महाराष्ट में हुए सत्ता परिवर्तन में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनावाकर पार्टी ने कहीं उनका दायरा तो सीमित नहीं कर दिया है, अब यह चर्चा सियासी गलियारे से हो रही है। दरअसल, देवेंद्र फडणवीस 2014 से 2019 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। यही नहीं अब खबरें हैं कि एकनाथ शिंदे की सरकार में मंत्रालयों के बंटवारे में भी हाईकमान देवेंद्र फडणवीस को फ्रीहैंड देने के मूड में नहीं है। सूत्रों के मुताबिक हाईकमान की राय है कि पार्टी लीडरशिप को न सिर्फ सरकार पर मजबूत पकड़ रखनी चाहिए बल्कि पार्टी में भी उसका दखल बना रहना चाहिए। कहा जा रहा है कि हाईकमान की ओर से ही तय किया जाएगा कि शिवसेना से आए और किन निर्दलीय विधायकों को कौन सा मंत्रालय दिया जाएगा। खासतौर पर मुंबई के विधायकों पर फोकस किया जा रहा है।
दरअसल पार्टी मुंबई और ठाणे में खुद को मजबूत करना चाहती है, जहां शिवसैनिकों की अच्छी पकड़ मानी जाती रही है। इसलिए पार्टी की राय है कि एकनाथ शिंदे गुट के जरिए उद्धव ठाकरे के प्रभाव को इन इलाकों में कम किया जाए। इसका असर भाजपा की आंतरिक रणनीति पर भी देखने को मिल सकता है। यही नहीं इसे देवेंद्र फडणवीस के लिए दूसरे झटके के तौर पर देखा जा सकता है, जिन्हें मजबूरन पार्टी के आदेश पर डिप्टी सीएम का पद संभालना पड़ा है। महाराष्ट्र के अंदर भी देवेंद्र फडणवीस को लेकर अलग-अलग राय हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि देवेंद्र फडणवीस की लीडरशिप में ही पार्टी स्टेट में मजबूत हुई है, जबकि विरोधियों का कहना है कि उनके दौर में भाजपा के वफादारों को किनारे लगाया गया है। ऐसे में हाईकमान बैलेंस बनाने की कोशिश में है और इसके तहत कुछ ऐसे नेताओं को अहम रोल मिल सकता है, जो अब तक किनारे लगे रहे हैं। भाजपा के एक नेता ने कहा कि सबसे अहम गृह मंत्रालय देवेंद्र फडणवीस की बजाय सुधीर मुनगंटीवार को दिया जा सकता है। इसके अलावा कुछ अन्य नेताओं की कैबिनेट में एंट्री हो सकती है, जिनकी फडणवीस से नहीं बनती।
पार्टी की सबसे बड़ी कोशिश फिलहाल यह है कि मुंबई के नेताओं को मंत्री परिषद में ज्यादा तवज्जो दी जाए। इसकी वजह यह है कि कुछ ही वक्त में बीएमसी चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में मुंबई के विधायकों को मंत्री पद दिया जाना कुछ असर डाल सकता है। खासतौर पर शिवसेना को बीएमसी से बेदखल करना एक बड़ा संदेश होगा, जिस पर भाजपा फोकस कर रही है। कैबिनेट में जिन भाजपा नेताओं को अहम मंत्रालय मिलने की चर्चा है, उनमें आशीष शेलार भी शामिल हैं, जो बांद्रा पश्चिम के विधायक हैं। वह अमित शाह के करीबी भी माने जाते हैं। यदि उन्हें मंत्रालय नहीं मिलता है तो फिर प्रदेश अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी दी जा सकती है। आशीष शेलार मुंबई से पार्षद रहे हैं और बीएमसी में उनका अच्छा दखल माना जाता है।