राष्ट्रीय खेलों के इतिहास में बिहार ने एक नया इतिहास रचा. पटना के पाटलीपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में भव्य रंगारंग कार्यक्रम के साथ खेलो इंडिया यूथ गेम्स का सातवां संस्करण सम्पन्न हो गया. 4 मई से शुरू हुए इस महा आयोजन में बिहार ने अपने खिलाड़ियों की प्रतिभा से सभी का ध्यान खींचा. राज्य एक सक्षम और सराहनीय मेजबान के तौर पर भी उभरा.

समापन समारोह में बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, केंद्रीय युवा एवं खेल राज्यमंत्री रक्षा निखिल खडसे, बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, खेल मंत्री सुरेन्द्र मेहता, विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री सुमित सिंह, जनक राम, राज्य के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा और पुलिस महानिदेशक विनय कुमार समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे.

उप मुख्यमंत्री ने युवाओं के जोश, जुनून और समर्पण की भरपूर प्रशंसा की. अन्य राज्यों से आए खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया. उन्होंने कहा कि बिहार वर्ष 2030 में राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी की तैयारी में जुट चुका है. इसके लिए बिहार के सभी नौ प्रमंडलों में खेल गांव का निर्माण कराया जाएगा.

इस साल झारखंड को भी पछाड़ा
इस वर्ष बिहार के खिलाड़ियों ने 7 स्वर्ण, 11 रजत और 18 कांस्य पदक अपने नाम किए. जो कुल 36 पदकों के साथ 2023 के मुकाबले 620 प्रतिशत की वृद्धि है. वर्ष 2023 में बिहार को सिर्फ 5 पदक मिले थे. बिहार ने इस बार झारखंड को पदक तालिका में पीछे छोड़ दिया है. जो एक प्रतीकात्मक उपलब्धि मानी जा रही है. इस छलांग ने साबित कर दिया है कि अब बिहार सिर्फ कहने भर के लिए नहीं, बल्कि खेलों की नई प्रयोगशाला बनकर उभर रहा है.

पदकों में छिपीं सपनों की कहानियां
बिहार के खिलाड़ियों की पदक तालिका के पीछे गांवों की वो कहानियां छिपी हैं, जिसने पदक जीतने का सपना कभी नहीं छोड़ा. जहां संसाधनों के अभाव के बावजूद बच्चों ने प्रैक्टिस किया. आज उन्हीं बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का नाम रोशन किया है. खेलों में इनकी ऊर्जा, हौसले और प्रदर्शन ने हर किसी को प्रभावित किया है. बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविन्द्रण शंकरण ने कहा, “यह सफलता एक दिन में नहीं आई. सरकार की सोच, योजनाएं और युवाओं के लिए सुविधाएं ही इसकी नींव हैं.”

नीतीश कुमार की नीति और विजन
यह उपलब्धि कहीं न कहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदर्शिता और प्रतिबद्धता का प्रतिफल है. इस बात को जरा भी नहीं नकारा जा सकता है. सीएम नीतीश कुमार के पहल पर ही बिहार राज्य खेल प्राधिकरण को रजिस्टर्ड कर खेल ढांचे को संस्थागत स्वरूप दिया गया. साथ ही खेल विभाग के गठन के बाद से ही खिलाड़ियों को प्रशिक्षण, संसाधन और प्रतियोगिताओं में भागीदारी के अवसरों का लगातार विस्तार किया गया.

अतिथि खिलाड़ियों की अच्छी मेजबानी
देश के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों से आए हजारों खिलाड़ियों और अधिकारियों की आवभगत, भोजन, सुरक्षा और परिवहन की समुचित व्यवस्था करने का भी माद्दा रखता है. हर किसी ने बिहार की मेहमाननवाजी और प्रबंधन की खुले दिल से सराहना की.समापन समारोह में बिहार की संस्कृति, कला और उत्सवधर्मिता की झलक भी देखने को मिली. खिलाड़ियों के चेहरों पर जीत और गर्व की चमक ने माहौल को और जीवंत बना दिया.

खेल के मानचित्र उभरा बिहार
खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 के सफल आयोजन और ऐतिहासिक प्रदर्शन के जरिए बिहार ने यह जता दिया है कि यदि साहस, योजना और संकल्प हो, तो कभी बीमारू राज्य कहा जाने वाला बिहार, खेल के मानचित्र पर अपनी मजबूत छाप छोड़ सकता है. अब बिहार सिर्फ शिक्षा और इतिहास के लिए नहीं, बल्कि खेलों के क्षेत्र में भी एक प्रेरणास्रोत राज्य बनकर उभरा है.