भारत में रोज़मर्रा की जिंदगी से जुड़ी कई परंपराएं हैं, जिनका सीधा संबंध हमारे विश्वास, भावनाओं और पुराने अनुभवों से होता है. इन्हीं में से एक है घर से बाहर जाते समय कुछ मीठा खाना. बहुत से लोग मानते हैं कि इससे दिन अच्छा जाता है और काम में सफलता मिलती है. लेकिन कुछ लोगों को यह उलझन भी होती है कि क्या यह सिर्फ एक रिवाज है या इसके पीछे कोई ठोस वजह भी है. चलिए जानते हैं

मीठा खाना क्यों माना जाता है शुभ?
जब भी किसी ज़रूरी काम पर निकलना हो, तो घर के बड़े बुज़ुर्ग अक्सर कहते हैं ‘थोड़ा सा दही शक्कर खा लो’ या ‘कुछ मीठा खाकर जाओ.’ इसके पीछे यह मान्यता है कि मीठे स्वाद से मन खुश होता है और सोच में ताज़गी आती है. मीठा खाने से जुबान पर मिठास आती है, जिससे बातचीत में नरमी बनी रहती है और मन शांत रहता है.

यही नहीं, जब कोई इंसान अच्छे मूड में होता है, तो वह ज्यादा आत्मविश्वास से भरा होता है और किसी भी काम को अच्छी तरह कर पाता है. यही वजह है कि घर से निकलते समय मीठा खाना एक तरह से अच्छा संकेत माना जाता है.

क्या अकेले मीठा खाना काफी है?
कुछ मान्यताओं के अनुसार, सिर्फ मीठा खाना ही नहीं, उसके साथ पानी पीना भी ज़रूरी होता है. कहा जाता है कि यह मिलकर शुभ फल देते हैं. पानी शरीर को ठंडक देता है और मन को संतुलन में रखता है. जब आप बाहर गर्मी या तनाव में निकलते हैं, तो पानी शरीर को तरोताज़ा रखता है और मन को शांत करता है. इसलिए कहा जाता है कि मीठे के साथ थोड़ा पानी पी लेना और भी बेहतर होता है.

ज्योतिष में क्या है इसका मतलब?
ज्योतिष की भाषा में देखें तो मीठा और जल दोनों ही कुछ खास ग्रहों से जुड़े होते हैं. जैसे चंद्रमा मन और शांति से जुड़ा होता है, वहीं बृहस्पति मिठास और शुभता का प्रतीक होता है. शुक्र को भी सुंदरता और स्वाद का ग्रह माना गया है.

ऐसा कहा जाता है कि जब इंसान कुछ मीठा खाता है, तो वह बृहस्पति और शुक्र दोनों को मजबूत करता है. वहीं पानी पीने से चंद्रमा शांत होता है और राहु जैसे ग्रहों का असर कम होता है. कई बार यह भी कहा जाता है कि मीठा और जल दोनों मिलकर मानसिक संतुलन और सकारात्मक सोच को बढ़ाते हैं.