ज्येष्ठ माह कब से शुरू हो रहा है? जानें व्रत और पूजा के नियम
हिंदू कैलेंडर के तीसरे महीने ज्येष्ठ माह का प्रारंभ वैशाख पूर्णिमा के समापन के बाद होता है. ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा तिथि को ज्येष्ठ माह का पहला दिन होता है. विष्णु पुराण के अनुसार, ज्येष्ठ माह में भगवान विष्णु के अवतार भगवान त्रिविक्रम की पूजा करते हैं. भगवान त्रिविक्रम श्रीहरि विष्णु के वामन अवतार हैं, जिन्होंने असुर राजा बलि को मुक्ति प्रदान की थी. जो व्यक्ति ज्येष्ठ माह में भगवान त्रिविक्रम की पूजा करता है, उसे दुश्मनों पर विजय प्राप्त होती है, उसके पाप मिटते हैं और अश्वमेध यज्ञ कराने के समान ही पुण्य की प्राप्ति होती है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि ज्येष्ठ माह कब से शुरू है? ज्येष्ठ माह में व्रत और पूजा का नियम क्या है?
ज्येष्ठ माह का प्रारंभ 2025
दृक पंचांग के अनुसार, इस बार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 12 मई दिन सोमवार को रात 10 बजकर 25 मिनट से शुरू होगी. इस तिथि का समापन 13 मई दिन मंगलवार को देर रात 12 बजकर 35 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर ज्येष्ठ माह का शुभारंभ 13 मई से है. उस दिन ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा होगी.
वरीयान योग और विशाखा नक्षत्र में ज्येष्ठ माह की शुरूआत
इस साल ज्येष्ठ माह की शुरूआत वरीयान योग और विशाखा नक्षत्र में है. 13 मई को वरीयान योग प्रात:काल से लेकर 05:53 ए एम तक है, उसके बाद से परिघ योग है. वहीं विशाखा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर सुबह 09:09 ए एम तक है. उसके बाद अनुराधा नक्षत्र है.
1. ज्येष्ठ माह में भगवान विष्णु, उनके वामन अवतार, शनि देव और हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है. निर्जला एकादशी और बड़ा मंगलवार का व्रत ज्येष्ठ में ही आता है. निर्जला एकादशी में बिना अन्न और जल के व्रत करके पूरे साल के 24 एकादशी व्रतों का पुण्य पा सकते हैं.
2. ज्येष्ठ महीने में जल का दान करने का महत्व है. जो व्यक्ति जल का दान करना है, उसे पुण्य की प्राप्ति होती है. ज्येष्ठ में आप जो भी व्रत करें, उसके बाद जल का दान अवश्य करें.
3. ज्येष्ठ माह में मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए बड़े मंगलवार का व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा करें. उनके प्रिय भोग अर्पित करें. भंडारे का आयोजन करें.
4. ज्येष्ठ में गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जाता है. इस दिन गंगा नदी में स्नान के बाद दान करने से पाप मिटते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. मां गंगा ने धरती पर अवतरित होकर राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया था.
5. ज्येष्ठ महीने में पशु-पक्षियों, राहगीरों को पानी पिलाना चाहिए. उनके लिए अपने घन के बाहर पीने के पानी की व्यवस्था करानी चाहिए. विष्णु कृपा से जीवन में सुख और शांति आती है.
6. ज्येष्ठ अमावस्या के अवसर पर सुहागन महिलाओं को वट सावित्री का व्रत रखना चाहिए. इससे उनको अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होगा.
7. ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है क्योंकि इस तिथि को सूर्य पुत्र शनि देव का जन्म हुआ था. साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शनि देव की पूजा करें. शनि जयंती पर व्रत रखकर शनि की वस्तुओं का दान करें.